नीली रात , खिड़की से चाँद आने को व्याकुल
चाँद को निहारते , कब डूब गए नींद के साये में
गहरी निद्रा ...सपनो की दुनिया ..कितनी खूबसूरत.. मनभावन
तभी सुनी एक कराह ... सुंदर कपड़ो में लिपटा, चमकती गाड़ी पर सवार
कौन है वो ...क्या सुन्दरता भी रोती है, मगर क्यूँ?
आ गयी एक और रात , आह!! जी भी न सका इस दिन को,
नए लक्ष्य अगले दिन की .... नयी उड़ान .क्या वो मिल पाएंगी?
कहाँ है मेरी मंजिल ..कैसे कर लूं दिन को मुट्ठी में ..?
आज तो पा न सके , कल की तालाश भी शुरु.