दरवाजे की हर दस्तक पर
तू ही तो दिखता है
हर सुबह की रौशनी में
कोई आया लगता है
मगर इन पथराई आँखों में
अब तू एक तसवीर ही है ,
बस याद ही पास है ....
सुख गयी हैं ये दो पोखर
नहीं मिलती इसे कोई धारा,
बस उन राहों को ताक रही
कभी तो जिंदा होंगी तुम्हारी यादें ...
बिखरें पड़े हैं मालों के मोती
कभी तो लायेगा तू धागे ,
कभी पिरोयेगा तू माला
कभी सजाएगा तू मंदिर
मिला भले ही तुझे नया मंदिर
नए फूलों का साथ मिला
मगर जिस मिटटी से बना तू फूल
सूख गयी है वो मिट्टी
तू ही तो दिखता है
हर सुबह की रौशनी में
कोई आया लगता है
मगर इन पथराई आँखों में
अब तू एक तसवीर ही है ,
बस याद ही पास है ....
सुख गयी हैं ये दो पोखर
नहीं मिलती इसे कोई धारा,
बस उन राहों को ताक रही
कभी तो जिंदा होंगी तुम्हारी यादें ...
बिखरें पड़े हैं मालों के मोती
कभी तो लायेगा तू धागे ,
कभी पिरोयेगा तू माला
कभी सजाएगा तू मंदिर
मिला भले ही तुझे नया मंदिर
नए फूलों का साथ मिला
मगर जिस मिटटी से बना तू फूल
सूख गयी है वो मिट्टी