राजा कौन ?
जो हाँथो में शस्त्र दे ,
या जो हाँथो को दे कटोरा ,
समानता में तो पूर्णता है ,
पर होते कहाँ सब समान,
न हाँथो की उँगलियाँ
ना माता के दो पुत्र,
ये प्रकृति का नियम है ,
प्रतिस्पर्धा ही सच्चाई है ,
सामर्थ ही आगे जाता है,
साथ जग भी जी लेता है ,
कुछ को पहले उठना पड़ता ही है
तभी पिछले जग पाते हैं,
सपने अच्छे होतें है ,
लेकिन सच्चे कितने होतें हैं ,
उठो रथ के साथ बढ़ो ,
समय अविरल है
सूर्य क्षितिज कि ओर चला है,
फिर चाँद कटोरा लेकर, एक रात आगाज न करो .....
----- प्रकाश