तीन कहानियाँ एक साथ - एक का नायक , राजेंद्र कुमार, मनोज कुमार, विस्वजित का मिक्सचर है ....बड़ा ही खूबसूरत , बड़े घर का बेटा ... अंग्रेजी बोलने वाला. पिछली पुश्तो ने इतना रक्खा हुआ कि शायद कुछ करने की जरूरत ही नहीं . सीधा साधा भी है, कुछ अच्छा करना भी चाहे तो ऐसा लगता है .... ओवरएक्टिंग हो रही है . इतने बड़े बृक्ष के नीचे तो गाव के मास्टर साब भी पढ़ा सकते थे , फिर इनकी तो बड़ी सी गुरुकुल है . ..... अर्नब भाई , आपने तो प्रश्न भी पहले भेज दिया होगा ? अरे , ये छोरा तो परीक्षा ही नहीं देना चाहता . ..माफ़ कर दो भाई ...
दूसरा नायक , एक दम ऋतिक रोशन की तरह. लगता है, पूरी फौज लग गयी है इसे बनाने में ....फिलिप कोटलर भी शायद मार्केटिंग सीखने जल्दी ही इंडिया आने के तैयारी में होंगे. चेहरे , पर जितनी चमक है, उतनी ही चाहत भी है. जितना दम है, उतनी दंभ भी ....सपने तो आपको खुली आँखों से भी दिख जाये ...जिसको सुनते एक निरीह भी अपने आप को फ्रीस्टाइल रेसलर समझने लगे . .... मान लो मेरी बात ...न मानी तो कल क्या होगा वो तो सिर्फ भगवान ही बता सकते हैं .....लता दीदी ने तो "ऐ मेरे वतन के लोगों" ५० साल पहले देश के वीरों के लिए गाया होगा , आज अम्बानी और नारायण मूर्ति के साथ इनके तराने गा रही हैं. भाई ये सुपर हीरो ही तो है !!!
सबसे अलग हमारे तीसरे नायक - नसीरूदीन शाह की तरह या फिर फारूख शेख की तरह ...शर्ट बाहर, गले मे मफलर ... चप्पल .. छोटी सी गाड़ी ....
" एक अकेला इस शहर में , भूखे पेट बैठा है , अनशन हमारा पेशा है" . ....
हम आप की तरह हैं लेकिन अलग हैं . अंदर से एंग्री यंग मैन हैँ . छोडूंगा नहीं , बदल डालूँगा ...चाहे इसके लिए मुझे सौ अनशन क्यूँ न करना पड़े....
पुण्य प्रशून बाजपेयी जी ....आपके सभी प्रश्न का उत्तर "आप" हैं . राज्य नहीं स्वराज्य होगा .
" एक अकेला इस शहर में , भूखे पेट बैठा है , अनशन हमारा पेशा है" . ....
हम आप की तरह हैं लेकिन अलग हैं . अंदर से एंग्री यंग मैन हैँ . छोडूंगा नहीं , बदल डालूँगा ...चाहे इसके लिए मुझे सौ अनशन क्यूँ न करना पड़े....
पुण्य प्रशून बाजपेयी जी ....आपके सभी प्रश्न का उत्तर "आप" हैं . राज्य नहीं स्वराज्य होगा .
तीन चैनल , तीन हीरो , आप किसके साथ हैं ?...जब से याद है , इतना मजेदार चुनाव नहीं देखा ..... आने वाले 3-4 महीने टीवी के प्राइम टाइम के लिए रिज़र्व .....
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