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Thursday, 28 September 2017

सुकून

कहाँ है तू,
साँसे मेरी , सब ढूँढे तुझे,

ख़्वाहिश सिर्फ़ तुम्हारी , थोड़ा सा तो आ जा ,
ग़मज़दा मैं नहीं , फिर भी पास नहीं तू
बेवफ़ा कोई नहीं , फिर भी साथ नहीं तू

दिल भी हारया, लेकिन ख़्वाब ही है तू
चाँद भी ली छू,लेकिन अजनबी ही है तू
मुट्ठियाँ भी ली भर, लेकिन दूर ही है तू

 भाग गए ऐसे, जैसे पूरी धूप में साये
दौड़ूँ , लेकिन ना पाऊँ पकड़
चिल्लवूँ पहाडॉ से  , लेकिन तू माने ना
दी आवाज सागर के लहरों को, लेकिन तू जाने ना

आ जा , अब जिया जाए ना तेरे बिना,
और कुछ ना , तेरी ख़्वाहिश ज़िंदगी से सिर्फ़


तू क्या जाने अब जी ना पावूँ मैं
मुस्कुरा ना मेरे पर , हो जा मेरी
सिर्फ़ तु ही है, मेरी आरज़ू
सिर्फ़ तुमसे प्यार है मुझे
----- प्रकाश


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