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Tuesday, 24 July 2012

चववनी की यादें

यह स्कूल के दिनों के दौरान हमारे एक दिन का जेब खर्च था ....मां देती थी, जब हम स्कूल के लिए जा रहे होते थे,.... असीम आनन्द मिलता था. चुपचाप जेब में डालने के बाद, नारायण चाट की आधी प्लेट के सपनों में स्कूल के लिए के लिए चल देते थे. नारायण चाट, स्कूल गेट के बाहर सबसे कीमती आइटम ....आधा प्लेट आलू चाट चार आना में और समोसा चाट के लिये दस और पैसे...इसका मतलब कि हमें एक और चववनी चाहिए होता.. अन्यथा, लंच समय के दौरान लाइन मैं  खड़े हो .. चववनी की कीमत पर नारायण चाट का स्वर्गिक स्वाद का आनंद ....इस चववनी का धन्यवाद .. जिसमें स्कूल के दिनो में संतोष के कई  पल दिया. ....रही बात मोहल्ला क्रिकेट की, सभी दोस्त चववनी से अपना योगदान दिया करते थे.हर एक के एक चववनी ...क्रिकेट की गेंद आ गई. एक सप्ताह के लिए आनंद, जब तक कोई पड़ोसी के घर में मार ना दे जहाँ से वापस मिलना मुश्किल था.एक बार खो दिया तो योगदान का एक और दौर शुरू...चववनी बहुत सशक्त थी और कई चेहरों पर मुस्कान लाती  थी...लेकिन आज हम इसके अंत देखने जा रहे हैं ...नहीं जानता कितने ऐसी चीज़ें "मंहगाई डायन निगल रही  है और निगल जाएगी …”   ( Fb note of 30th June 2011)

सुनामी के मायने...

सुबह की सैर के बाद .. पार्क की बेंच पर मार्च माह की हवा का आनंद ले रहा था ... क्या अप्रैल के बाद भी यही महसूस होगी !!! प्रकृति भी बडी कटु है ...... यह पहले अपको खुशी देती है फिर वास्तविक स्वरूप दिखाती है....

टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रथम पृष्ठ पर वोडाफोन 3 जी सेवाओं का एक बड़ा विज्ञापन था ... . ... कितनी दूर मानव जा सकता है? अभी तो सोच ही रहा था की पीछे से आवाज़ सुनी..... बेटा तुम क्या पढ़ रहे हैं? पीछे देख बिना ..असली प्रथम पृष्ठ पर चले गए और तुरंत जवाब दिया .. , सुनामी ने वास्तव में, जापान को बर्बाद कर दिया, एक शहर की  आधी आबादी   खत्म हो गई हैं और वहाँ परमाणु विकिरण का संकट है ... ... हजारों लोग, माँ पृथ्वी के अंदर समा गए हैं ...
तभी पीछे से जवाब आया ..बेटा,एक सुनामी कल इंडिया में आया था, ...कब .. कहाँ? दिलचस्पी से बगल में बैठे अंकल जी की ओर मुड़ गया ...उन्होंने बात को जारी रखा ... 29 रन 9 चले गये. ..रही सही कसर नेहरा ने एक ओभर में पुरी कर दी. पूरे 1 अरब की आबादी इस सुनामी में बह गया ...
मैं सोच रहा था ..हो सकता है .. एक समय पर सूनामी का दुनिया के लोगों के लिए अलग अलग मतलब होता हैं .. और चुपचाप विवियन रिचर्ड और नीना गुप्ता की बेटी के फैशन शो के कॉलम को पढ़ने लगा. (FB Note on13th March 2011)

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ

पत्नी की सलाह के बावजूद, एक तरफ सभी यातायात नियमों रखते हुए..एक्सीलेटर पर पैर दबा के पूरे 110 BHP उपयोग करते हुए, मोबाइल पर दोस्त से बात करते गाड़ी चला रहा था ".... बस 1-2 हरे नोटों का मामला है". अचानक, एक पुलिस वाले ने कार को रोका, मैं बाहर आया और उसे झटपट कहा.. "चलो ले दे कर रफा दफा करो" .. उसने धीरे से बोला ... भाई साहब "कैमरामैन पीछे है" चुपचाप चालान कटा लो ... मैं सोच रहा था , लोकतंत्र का चौथा स्तंभ वास्तव में अपने पंख फैला चुका है और एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. ( FB Note: 10th March 2011)

बाबा हरिहरनाथ होली खेलत सोनपुर में..

मेरी माँ ने कुछ विज्ञापन के बिखरे हुए कागज को उठाया चुपचाप और मुझे दिखाया ... बेटे होली आ गई है ... और परिवार में सभी के लिए कुछ कपड़ा खरीदारी की जरूरत है ..इस अवसर का महत्व नहीं देते हुए मैंने उससे कहा, कुछ समय के बाद खरीद लेंगे. ....मुझे लगता है, भूमण्डलीकरण और उपभोक्तावाद के बढ़ते दायरों, बड़े-बड़े माल में किसी कम्पनी के सेल आफर के बीच इस रस और आनंद के आन्तरिक उल्लास को भूल गया था ...

लेकिन जल्द ही माँ ने मुझे बचपन की याद दिला दी...होली पर एक नया कपड़ा मिलने की खुशी बहुत बड़ी होती थी..और भी बड़ा था सिले कपड़े प्राप्त करने के लिए इंतजार ...होलिका दहन के बारे में सोचते ही याद आती हैं , ..... कपड़े की मुश्त के चारों ओर तार से बुनी और दो दिन के लिए मिट्टी के तेल में रखने के बाद पूरी रात के लिए तैयार ... विशेष  गे ना  . 10-20 लोगों के द्वारा अंधेरी रात में इस आग के वस्तु को  घूमाने का दृश्य सच में लुभावना होता था ... और बीच में एक "चना के खेत" में कूदने... होरहा लगाना  ..... एक साहसिक कहानी से अधिक होता थी..... .पकडे  गये फिर... अगले दिन और भी यादगार..
हो सकता है पीचकारी का उपयोग थोड़ा जटिल था ...इसलिए हाथ प्रचलन में अधिक होता था. और लोगों को पता था कि रंग में रसायनों के प्रभाव अधिक हानिकारक है. उस जगह में, गोबर , मिट्टी बेहतर है. और हां, क्योंकि आपको  सिर्फ प्राकृतिक जल या नहर में कूदने की जरूरत होती थी. और सब कुछ बस एक छप में धुल जाता था.
फिर वहाँ सुंदर दोपहर शुरू...समूह के साथ घूमना ...एक दालान से दूसरे में जाना. और हर पल भांग पेडा के लिए प्रतीक्षा...हर किसी का सफेद कपड़ा, विशुद्ध लाल रंग में साराबोर... सातवें आसमान पर दिमाग .. झाल  और ढोलक की ध्वनि इस अवसर को और भी मादक  बना देता.फगुआ की बोल स्वर्ग पृथ्वी के करीब ला देता ... मैं अपनी आँखें बंद , गहरे विचार साथ गुनगुना रहा था...

... बाबा हरिहरनाथ होली खेलत सोनपुर में..  (  FB Note: 19th march 2011)

सत्याग्रह

सत्याग्रह, शब्द का एक लम्बा इतिहास और अर्थ है. गांधी ने लाया, मंडेला, आंग सान सू और कई विश्व नेताओं का उपयोग किया. मुन्ना भाई ने आधुनिक भारत में लोकप्रिय किया. लेकिन अन्ना और बाबा इसे नया आयाम पर लेकर आए. अब तक यह शासकों से मुक्ति के लिए इस्तेमाल किया गया था ... पहली बार यह अलग अर्थ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ... फिर भी, शासकों अब भी लगता है यह वही पुरानी उद्देश्य के लिए पर्दे के पीछे बैठे लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन एक बात साफ है जो कुछ गुप्त मकसद है, यह परमाणु हथियारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है. कोई नहीं  मरता है... लेकिन एक बड़ा और गंभीर प्रभाव छोड़ जाता है ... ..( FB Note: 4th June 2011)