किसी
मंजिल की खोज में निकले थे..किसी कारवां की तलाश थी
कभी मिले सुबह के
सुनहरे पल
..कभी बारिश ने
भिंगोया ..कभी दुपहर की तीख मिली
कहीं शाम सुहानी थी तो कहीं रात अँधेरी थी ..
मंजिलें भी मिली, कुछ कारवां भी रास्ते में आये....
लेकिन वो छूटते चले
गए जिनके
साथ सपने सजाये थे...
कुछ
रिश्ते भी छुट गए, कुछ
नाते भी टूट गए
अब तो वो रास्ते भी
भूल गए, जहाँ
से चले थे
ये मंजिल की चाहत
... ये रिश्तों की खोज ...
किसी
मंजिल की खोज में निकले थे..किसी कारवां की तलाश थी
कभी मिले सुबह के सुनहरे पल ..कभी बारिश ने भिंगोया ..कभी दुपहर की तीख मिली
कहीं शाम सुहानी थी तो कहीं रात अँधेरी थी ..
मंजिलें भी मिली, कुछ कारवां भी रास्ते में आये....
लेकिन वो छूटते चले गए जिनके साथ सपने सजाये थे...
कभी मिले सुबह के सुनहरे पल ..कभी बारिश ने भिंगोया ..कभी दुपहर की तीख मिली
कहीं शाम सुहानी थी तो कहीं रात अँधेरी थी ..
मंजिलें भी मिली, कुछ कारवां भी रास्ते में आये....
लेकिन वो छूटते चले गए जिनके साथ सपने सजाये थे...
कुछ
रिश्ते भी छुट गए, कुछ
नाते भी टूट गए
अब तो वो रास्ते भी भूल गए, जहाँ से चले थे
ये मंजिल की चाहत ... ये रिश्तों की खोज ...
अब तो वो रास्ते भी भूल गए, जहाँ से चले थे
ये मंजिल की चाहत ... ये रिश्तों की खोज ...
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